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यदि आप ने lesson-1 से लेकर 6 तक नहीं पढ़े है तो पहले उन्हें पढ़ ले जिनके link last में दिये गये हैं। last post या lesson - 6 में हमनें पोक्सो एक्ट व धारा -3 व धारा - 4 के बारें मे पढ़ा था तो आज उसके आगे पढ़ते है ।
Lesson - 7
गुरुत्तर प्रवेशन लैंगिक हमला में शामिल है : (धारा 5)
- यदि कोई किसी जेल, प्रतिप्रेषण गृह, संरक्षण गृह, किसी अस्पताल, सरकारी या प्राइवेट, कोई भी संस्थान- शैक्षणिक, धार्मिक आदि का प्रबंधक या कर्मचारी होते हुए उस परिसर में बच्चे पर प्रवेशन लैंगिक हमला ।
- कोई भी पुलिस अधिकारी होते हुए बच्चे पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है।
- अपने पुलिस स्टेशन या कार्यक्षेत्र में जहां उसकी नियुक्ति हुई है ।
- किसी भी स्टेशन हाउस के अन्दर, चाहे वो पुलिस स्टेशन के भीतर हो या न हो, जहां पर व नियुक्ति है ।
- अपने ड्यूटी के दौरान या उसके अलावा ।
- जहां पर वह पुलिस अधिकारी के रूप जाना जाता है ।
- जो कोई सशत्र बल या सुरक्षा बल का सदस्य होते हुए बच्चे पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है ।
- उस क्षेत्र सीमा के अन्दर जहां उसकी नियुक्ति हुई है ।
- जहां पर उस व्यक्ति को सशत्र बल या सुरक्षा बल का सदस्य के रूप जाना जाता है या ज्ञात है ।
- सामूहिक प्रवेशन यौनिक हमला ।
- यदि बच्चा 12 साल से कम है तो किसी तरह की धमकी / हथियार/ नशे का इस्तेमाल बच्चे को किसी तहत बिमारी / गंभीर चोट जिससे किसी भी प्रकार की विकलागंता / संक्रमण
लैंगिक हमला (धारा 6)
जो कोई गुरूतर प्रवेशन लैगिक हमला करेगा वह कठोर कारावास से जिसकी अवधि 10 वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु वह आजीवन कारावास तक हो सकेगी दण्डित किया जायेगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।
लैंगिक हमला (धारा 7)
जो कोई, लैंगिक आशय से बालक की योनि, लिंग, गुदा या स्तनों को स्पर्श करता है या बालक से ऐसे व्यक्ति या किसी अन्य व्यक्ति की योनि, लिंग, गुदा या स्तनों को स्पर्श कराता है या लैंगिक आशय से ऐसा कोई अन्य कार्य करता है जिसमें प्रवेशन किये बिना शारीरिक अन्तग्रस्त होता है, लैंगिक हमला करता है यह कहा जाता है।
लैंगिक हमला (धारा 8)
जो कोई लैगिक हमला करेगा वह दोनों मे से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि तीन वर्ष से कम नहीं किन्तु 5 वर्ष तक हो सकेगी दण्डित किया जायेगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।
लैंगिक उत्पीड़न (धारा 11)
- कोई शब्द कहता है या कोई ध्वनि या अंगविक्षेप करता है या कोई वास्तु या शरीर का भाग इस आशय के साथ प्रदर्शित करता है कि बालक द्वारा ऐसा शब्द या ध्वनि सुनी जाएगी या ऐसा अंगविक्षेप या वास्तु या शरीर का भाग देखा जायेगा।
- किसी बालक को उसके शरीर या उसके शरीर का कोई अंग प्रदर्शित कराता है जिससे उसको व्यक्ति या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा देखा जा सके ।
- अश्लील प्रयोजनों के लिए किसी प्रारूप या मीडिया में किसी बालक का कोई वास्तु दिखाता हैय।
- अश्लील प्रयोजनों के लिए बच्चों का इस्तेमाल ।
- जो कोई, किसी बालक का, मीडिया के (जिसमें टीवी चौनलों या इंटरनेट या कोई अन्य इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप या मुद्रित प्रारूप द्वारा प्रसारित कार्यक्रम या विज्ञापन का आशय व्यक्तिगत उपयोग या वितरण के लिए हो या नहीं सम्मलित है) किसी प्रारूप में ऐसे लैंगिक परितोषण के प्रयोजनों के लिए उपयोग करता है, जिसमें निम्नलिखित सम्मलित है ।
लैंगिक उत्पीडन के लिए दण्ड (धारा 12)
जो कोई किसी बालक पर लैंगिक उत्पीडन करेगा वह दोनों में किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि 3 वर्ष तक हो सकेगी दण्डित किया जायेगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।
बालक का अश्लील प्रयोजनों के लिए (धारा 13)
- किसी बालक की जनेंद्रियों का प्रदर्शन करना ।
- किसी बालक का उपयोग वास्तविक या नकली लैंगिक कार्यों में (प्रवेशन के साथ या उसके बिना) करना ।
- किसी बालक का अशोभनीय या अश्लीलतापूर्ण प्रतिदर्शन करना ।
- वह किसी बालक का अश्लील प्रयोजनों के लिए उपयोग करने के अपराध का दोषी होगा।
लैंगिक उत्पीडन (धारा14)
जो कोई अश्लील प्रयोजन के लिए किसी बालक या बालकों का उपयोग करेगा वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि 5 वर्ष तक की हो सकेगी दण्डित किया जायेगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा या पश्चातवर्ति दोष सिद्धि की दशा में वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि 10 वर्ष से कम नहीं होगी, दण्डित किया जायेगा और जुमनि से भी दण्डनीय होगा ।
अश्लील सामग्री का भंडारण
कोई व्यक्ति जो वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिए बालक को सम्मलित करते हुए किसी अश्लील सामग्री का किसी भी रूप में भंदार्करण करेगा, वह किसी भांति के कारावास से जो 3 वर्ष तक हो सकेगा या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा।
यह अधिनियम न्यायिक व कानूनी प्रक्रिया के प्रत्येक स्तर पर बच्चों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। अपराधों का निपटारा विशेष अदालतों द्वारा किया जाता है एवं उनके लिए घटनाओं की रिपोर्टिंग, सबूतों की रिकॉर्डिंग, जांच एवं त्वरित सुनवाई के लिए बाल मैत्रीपूर्ण प्रक्रियाओं को अपनाया जाता है। पोक्सो एक्ट 2012 की परिभाषा के अनुसार 18 वर्ष से कम आयु का कोई भी व्यक्ति नाबालिग है। यह अधिनियम बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों की पूर्ण एवं व्यापक रूप से पहचान करता है। यह प्रत्येक स्तर पर सभी बातों पर ध्यान देता है ताकि बच्चे के स्वास्थ्य, भावनात्मक, शारीरिक, सामाजिक, मानसिक एवं बौद्धिक विकास सुनिश्चित किया जा सके।
बालिकाओं के साथ बढती दरिंदगी को देखते हुए, इस एक्ट में बदलाव किया गया, जिसके तहत अब 12 साल तक की बच्ची से रेप के दोषियों को मौत की सजा मिलेगी। सरकार के द्वारा रखे इस प्रस्ताव को अप्रैल 2018 में कैबिनेट द्वारा मंजूरी मिल गयी है । यदि अभियुक्त एक किशोर है, तो उसके ऊपर मुकदमा किशोर न्यायलय अधिनियम, 2000 (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) में मुकदमा चलाया जायेगा। यदि पीड़ित बच्चा विकलांग है या मानसिक रूप या शारीरिक रूप से बीमार है, तो विशेष अदालत को उसकी गवाही को रिकॉर्ड करने या किसी अन्य उद्देश्य के लिए अनुवादक, दुभाषिया या विशेष शिक्षक की सहायता ली जा सकती है। यदि अपराधी ने कुछ ऐसा अपराध किया है जो कि बाल अपराध कानून के अलावा अन्य कानून में भी अपराध है तो अपराधी को सजा उस कानून के तहत होगी जो सबसे सख्त हो। यदि कोई पुलिस, वकील, सरकारी अधिकारी जिनके संरक्षण में बच्चा हो, अगर वो इस तरह की घटना में अभियुक्त पाया जाता है तो उसके लिए भी दंड का प्रावधान। यदि कोई लोक सेवक होते हुए बच्चे पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है ।
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