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माता- राजकुमारी
पत्नी- पेमलदे
1. लोक देवता वीर तेजाजी महाराज खड़नाल ( नागौर ) के नागवंशीय जाट थे।
2. इन्होंने लाछा गूजरी की गायें मेरों से छुड़ाने हेतु अपने प्राणोत्सर्ग किए ।
3. इनके थान पर सर्प व कुत्ते काटे प्राणी का इलाज होता है । प्रत्येक किसान तेजाजी के गीत के साथ ही बुवाई प्रारम्भ करता है । ऐसा विश्वास है कि इस स्मरण से भावी फसल अच्छी होगी।
4. तेजाजी विशेषतः अजमेर जिले के लोकदेवता हैं । इनके मुख्य 'थान' अजमेर जिले के सुरसुरा,ब्यावर,सेंदरिया एवं भावतां में हैं । उनके जन्म स्थान गढ़वाल में भी इनका मंदिर है।
5. नागौर जिले के परबतसर कस्बे में तेजाजी का विशाल मेला भाद्रपद शुक्ला दशमी को भरता है। जहाँ भारी मात्रा में पशुओं की भी खरीद फरोख्त होती हैं तेजाजी की निर्वाण स्थली सुरसुरा ( अजमेर ) में तेजाजी की जागीर्ण निकाली जाती है।
6. सर्पदंश का इलाज करने वाले तेजाजी के भोपे को 'घोड़ला' कहते हैं।
7. तेजाजी की घोड़ी लीलण (सिणगारी) थी।
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